स्टेशन पे एक कुली से बाहर जाने का रास्ता पूंछा .
कुली ने कहा : " बाहर जाके पूंछो ."
मैंने ख़ुद ही रास्ता धुंध लिया ,
बाहर जाके टैक्सी वाले से पूंछा :
" भाई साहब लाल किले का कितना लोगे ?"
जवाब मिला : " बेचना नही है ."
टैक्सी छोड़ , मैंने बस पकड़ ली ,
कोन्दुक्टोर से पूंछा : "जी , क्या मैं सिगरेट पी सकता हूँ ?"
वो गुर्र्रा कर बोला : "हरगिज़ नही , यहाँ सिगरेट पीना मन है . "
मैंने कहा : "पर वो जनाब तो पी रहे है ! "
फिर से गुर्र्र्राया : "उसने मुझसे पूंछा नही है . "
लाल किले पंहुचा , होटल गया .
मेनेजर से कहा : "मुझे रूम चाहिए , सातवी मंजिल पे .. "
मेनेजर ने कहा : "रहने के लिए या कूदने के लिए ?"
रूम पंहुचा , वेटर से कहा :
" एक पानी का गिलास मिलेगा ?"
उसने जवाब दिया : "नही साहब , यहाँ तो सारे कांच के मिलते हैं ."
होटल से निकला , दोस्त के घर जाने के लिए ,
रस्ते मी एक साहब से पूंछा :
" जनाब , ये सड़क कहाँ को जाती है ?"
जनाब हंस कर बोले : "पिछले बीस साल से देख रहा हूँ , यही पड़ी है
... कहीं नहीं जाती . "
दोस्त के घर पंहुचा , तो मूझे देखते ही चोंक पड़ा ,
उसने पूछा : "कैसे आना हुआ ?"
अब तक तो मुझे भी आदत पड़ गई थी ,
मैंने भी जवाब दिया : "ट्रेन से . "
मेरी अओभागत करने के लिए दोस्त ने अपनी बीवी से कहा :
" अरी सुनती हो ... मेरा दोस्त पहली बार घर आया है ,
उसे कुछ ताज़ा ताज़ा खिलाओ . "
सुनते ही भाभी जी ने घर की सारी
खिध्कियाँ और दरवाजे खोल दिए .
कहा : "ताजी हवा खा लीजिये . "
दोस्त ने फिर से बडे प्यार से बीवी से कहा :
" अरी सुनती हो , इन्हे जरा अपना चालीस साल पुराना आचार तो दिखाना . "
भाभी जी एक बाल्टी मे रखा आचार ले आई .
मैंने भी अपनापन दिखाते हुए भाभी जी से कहा :
" भाभी जी , आचार सिर्फ़ दिखाएंगी , चाखायेंगी नही ?"
भाभी जी ने टाक से जवाब दिया : "यूँही अगर सब को
चखाती तो आचार चालीस साल पुराना कैसे होता ?"
थोडी देर बाद देखा , भाभी जी अपने पोते को सुला रही थी ,
साथ मे लोरी भी गा रही थी :
" डिप्लोमा सो जा , डिप्लोमा सो जा . "
लोरी सुन में हैरान हुआ और दोस्त से पूछा :
" यार , ये डिप्लोमा क्या है ?"
दोस्त ने जवाब दिया : "मेरे पोते का नाम ,
बेटी बम्बई गई थी , डिप्लोमा लेने के लिए और साथ में इसे ले आई ,
इसीलिए हमने इसका नाम डिप्लोमा रख दिया . "
फिर मैंने पूंछा : "आजकल तुम्हारी बेटी क्या कर रही है ?"
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